Ashwini Mudra in Hindi | अश्विनी मुद्रा के फायदे, विधि और सावधानियां

आज के जीवन में हम अपने दैनिक रूटीन के साथ साथ शारीरिक और मानसिक तनाव भरे जीवन का सामना करते हुए हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय चिकित्सा के अनुसार, शरीर में उच्च रक्तचाप, श्वसन संबंधी समस्याएं और दाहिने पेट के संबंधित समस्याएं अक्सर अनुभव की जाने वाली समस्याएं हैं। अश्विनी मुद्रा एक ऐसी प्राकृतिक तकनीक है जो हमें इन समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकती है।
अश्विनी मुद्रा का नाम संस्कृत शब्द अश्विनी से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “घोड़े की चाल”। इस मुद्रा को हमारे प्राचीन ऋषियों ने अपनी चिकित्सा विज्ञान के भाग के रूप में उपयोग किया था। इस मुद्रा का उपयोग न केवल शारीरिक बल बढ़ाने में मदद करता है बल्कि इसका नियमित अभ्यास करने से हम श्वसन संबंधी समस्याओं का सामना भी कर सकते हैं।
अश्विनी मुद्रा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक उत्तम तरीका है जिसका उद्देश्य शरीर के अंगों को सक्रिय करना है। यह मुद्रा तंत्र शास्त्र में उल्लेखित है और अनेक आयुर्वेदिक चिकित्सा विधियों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस मुद्रा को सबसे अधिक प्रभावी रूप से मूत्राशय विकारों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
अश्विनी मुद्रा के नाम का अर्थ है ‘घोड़े की तरह’। यह मुद्रा अत्यंत सरल होती है जिसे कोई भी आसानी से कर सकता है। इस मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को सही ढंग से बैठना चाहिए। व्यक्ति को एक शांत और स्थिर जगह पर बैठना चाहिए जहां उसे कोई भी तंगी न हो। उसके बाद व्यक्ति के दोनों पैरों को एक साथ समतल पैदल रखना चाहिए।
अश्विनी मुद्रा के फायदे:
1. यह अभ्यास बढ़ते उम्र के साथ होने वाली मूत्रविसर्जन समस्याओं में मददगार होता है। जब हम इस अभ्यास को करते हैं, तो हमारे गुदा क्षेत्र में खून की संचार को बढ़ावा मिलता है, जिससे गुदा ठीक से काम करता है और मूत्रविसर्जन ठीक से होता है। इसलिए, इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से आपकी मूत्रविसर्जन समस्याएं कम हो सकती हैं। इसके अलावा, इस अभ्यास से आपका गुदा स्वस्थ रहता है और आपको गुदा संबंधी समस्याओं से बचाता है।इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से आपके पेशाब के जरिये शरीर से विषैले पदार्थ निकलते हैं, जिससे आपके शरीर से विषैले पदार्थों का निकास होता है। इससे आपके शरीर में आयरन की मात्रा कम होती है, जो कि आपके शरीर के लिए अधिकतम लाभदायक होता है। अश्विनी मुद्रा को नियमित रूप से करने से आपकी शरीर की सतह की रक्षा होती है, जो आपको अलग-अलग तरह की बीमारियों से बचाती है।
2. यह अभ्यास पुरुष और महिलों के लिए भी लाभदायक होता है। यह अभ्यास आपकी प्रोस्टेट सेहत को भी सुधारता है। इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से आपके गुप्तांग के अंदर की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है। इससे आपके वीर्य का प्रवाह भी सुधारता है और आपको यौन समस्याओं से बचाता है।
अश्विनी मुद्रा के नियमित अभ्यास से आपका मन भी शांत होता है और आपकी तनावमुक्ति होती है। इसके अलावा, इस अभ्यास से आपकी सामान्य स्वास्थ्य सुधरता है और आपके शरीर के ताकतवर बनने में मदद मिलती है। अश्विनी मुद्रा को अन्य योगाभ्यासों के साथ मिलाकर किया जा सकता है, जिससे आपको अधिक लाभ होता है। इसलिए, इस अभ्यास को नियमित रूप से करना आपकी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है।
3. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति को भी सुधारती है। इस अभ्यास को करने से आपका ध्यान सकारात्मक बनता है और आपकी मानसिक तनाव भी कम होता है। अश्विनी मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से आपकी उत्साह, संतुलित भावना और स्वयं के प्रति विश्वास में सुधार होती है। इससे आपका मन शांत रहता है और आपकी सोच भी स्पष्ट होती है।
4. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपकी श्वसन प्रणाली को भी सुधारती है। इस अभ्यास को करने से आपके फेफड़ों की समस्याएं दूर होती हैं और आपकी श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। यह अभ्यास श्वसन प्रणाली के लिए एक प्रकार का व्यायाम का काम करता है और इससे आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन का अधिक मात्रा मिलता है। इससे आपकी श्वसन प्रणाली मजबूत होती है और आपका शरीर स्वस्थ रहता है।
5. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपके मूत्र प्रणाली को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। यह मुद्रा मूत्र रोगों जैसे कि बैदांत और उससे जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से आपकी मूत्र प्रणाली के रोगों में बेहतरी होती है और आप इससे छुटकारा पा सकते हैं। इससे आपका पेशाब बंद नहीं होगा और आपके शरीर में जमा हुए तैल और मल को भी निकालने में मदद मिलती है।
6. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है। इस अभ्यास को नियमित रूप से करने से आपका शरीर बैक्टीरिया, वायरस और अन्य संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इससे आपका शरीर संवेदनशील बनता है और यह आपको स्वस्थ रखता है। इससे आपके शरीर में ऑक्सीजन भी बढ़ता है जिससे आपके शरीर में शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
7. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपके भोजन पाचन को बेहतर बनाता है। यह मुद्रा आपके गुदा क्षेत्र को सक्रिय करता है जिससे आपके पाचन तंत्र को ताकत मिलती है। इससे आपके भोजन को पाचन में कोई समस्या नहीं होती है और आप अपनी खुराक को सही ढंग से पाच सकते हैं। इससे आपके शरीर में पोषण भी बढ़ता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है।
8. अश्विनी मुद्रा का एक और फायदा यह है कि यह आपके श्वसन तंत्र को बेहतर बनाता है। इस मुद्रा को करने से आपकी श्वसन प्रणाली को ताकत मिलती है जो आपके श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाने में मदद करता है। इससे आपके श्वसन मार्ग स्पष्ट होते हैं जिससे आपके श्वसन तंत्र में कोई समस्या नहीं होती है। इससे आपके शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है जिससे आप दिनभर ताकत से काम कर सकते हैं
अश्विनी मुद्रा विधि:
1. अश्विनी मुद्रा एक आसान मुद्रा है जिसे करने के लिए आपको अपनी नाभि के नीचे के क्षेत्र को संचालित करना होता है। इस मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले आप अपने पेट को खाली कर लें। फिर आप अपने पैरों को फ्लैट पर रखें। अब आप नाभि के नीचे के क्षेत्र को संचालित करने के लिए अपने नाभि को अंतरिक्ष की ओर उठाएं। जब आप अपनी नाभि को ऊपर उठाते हैं, तो आपके गुदा क्षेत्र में एक संकुचन होता है जो अश्विनी मुद्रा को प्राप्त करने में मदद करता है।
2. अश्विनी मुद्रा को धीरे-धीरे बनाया जाना चाहिए। इसके लिए आप शुरुआत में 5 सेकंड तक इस मुद्रा को बनाने की कोशिश करें। फिर आप इसे धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 30 सेकंड तक बनाने की कोशिश करें। इस मुद्रा को दोहराने के लिए आप शुरुआत में इसे 3-4 बार कर सकते हैं और बाद में इसे 10-15 बार कर सकते हैं। आप अश्विनी मुद्रा को समय-समय पर अभ्यास करते रहें तो आपको इसके लाभ जल्द ही महसूस होने लगेंगे।
3. अश्विनी मुद्रा को करने से पहले ध्यान रखें कि आपकी मांसपेशियों में कोई चोट या दर्द नहीं होना चाहिए। इस मुद्रा को करते समय अगर आपको कोई तकलीफ होती है, तो तुरंत इसे छोड़ दें। इसके अलावा, अगर आप गर्भवती हैं, तो आपको इस मुद्रा को करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
4. आप अश्विनी मुद्रा को करने से पहले एक सही पोजीशन में बैठें। अगर आप योग करते हैं तो आपको योग करने के लिए आसान स्थान का चयन करना चाहिए। फिर आप धीरे से अपने पेट को खाली करें और शांति प्राप्त करने के लिए कुछ देर ठहरें। इसके बाद आप अपने नाभि के नीचे के क्षेत्र को संचालित करने के लिए अपने नाभि को ऊपर उठाएं और धीरे से उसे छोड़ें। अगर आप इस मुद्रा को नियमित रूप से अभ्यास करते हैं, तो आपको इसके लाभ निश्चित रूप से महसूस होंगे।
अश्विनी मुद्रा सावधानियां
1. अश्विनी मुद्रा करने से पहले इसके सावधानियों को जानना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास ज़्यादा देर तक बैठने की क्षमता नहीं है, तो इस मुद्रा को करने से पहले एक पूर्ण तंग वाली आसन में बैठ जाएँ। इससे आपको यह सुनिश्चित होगा कि आप योग करते समय खुद को ज़्यादा से ज़्यादा आरामदायक महसूस करते हुए रहेंगे।
2. अश्विनी मुद्रा करते समय, यदि आपके गुप्तांगों में कोई संक्रमण हो तो इसे नहीं करना चाहिए। यदि आप ये मुद्रा करते समय दर्द अनुभव करते हैं, तो तुरंत इसे छोड़ दें। इसके अलावा, अगर आपके किसी बीमारी से जूझ रहे हैं जो आपके पेट के क्षेत्र में संक्रमण उत्पन्न कर सकती है, तो आपको इस मुद्रा को करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
3. अश्विनी मुद्रा को लगातार करने से आपकी मांसपेशियों में तनाव कम होता है, लेकिन इसे लंबे समय तक न करें। यदि आप अधिक मात्रा में अश्विनी मुद्रा करते हैं, तो आपकी पेशिया समस्याएं हो सकती हैं। अश्विनी मुद्रा को लगातार दोहराने से पहले ध्यान रखें कि आपके शरीर में कोई ऐसी समस्या न हो जो इसे करने से रोकती हो। अगर आपने अश्विनी मुद्रा को शुरू किया है तो सावधानीपूर्वक इसे करें। शुरुआत में इस मुद्रा को कुछ समय तक करें, और जब आप इसे अच्छी तरह से जान जाएंगे तब इसे अधिक लंबे समय तक दोहराएं।
4. यदि आप बैठने के दौरान किसी भी समय अस्वस्थ महसूस करते हैं तो तुरंत इसे छोड़ दें और अगर आपको अस्वस्थ महसूस होता है तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें। आपको अश्विनी मुद्रा करते समय अगर कोई दर्द अनुभव होता है तो तुरंत इसे छोड़ दें। इस मुद्रा को करते समय ध्यान रखें कि आपके श्वसन लम्बा और गहरा हो जाते हैं।
5. इस मुद्रा को करने से पहले शुद्ध वस्तुओं का उपयोग करें। अपने हाथ धोने से पहले और अश्विनी मुद्रा करने से पहले, हमेशा शुद्ध वस्तुओं का उपयोग करें। इसके अलावा, यदि आप इस मुद्रा को करते समय अपने ऊतकों में कोई बदलाव महसूस करते हैं, तो तुरंत इसे छोड़ दें और अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
6. अश्विनी मुद्रा को करते समय ध्यान रखें कि आपके शरीर के अनुसार इसे बदला जा सकता है। यदि आप इस मुद्रा को करते समय अस्वस्थ महसूस करते हैं, तो इसे छोड़ दें या अपने चिकित्सक से संपर्क करें। इस मुद्रा को एक खाली पेट पर करने से फायदे हो सकते हैं, इसलिए इसे सुबह या शाम के समय करना अच्छा होता है। इसे करते समय ध्यान रखें कि आप अपने श्वसन को संतुलित रखें और सही तरीके से साँस लें।
7. इस मुद्रा को करते समय अपने शरीर को जानें और ध्यान दें कि आपके शरीर की सीमाओं और अनुभवों के साथ कैसे काम करती है। आप इस मुद्रा को करते समय अपने शरीर के साथ कैसे काम करती हैं और क्या आपको किसी प्रकार की असुविधा महसूस हो रही है। यदि आप इस मुद्रा को करते समय कुछ असामान्य महसूस करते हैं तो आपको इसे छोड़ देना चाहिए और अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा, यदि आपके किसी तरह के शारीरिक संकट होते हैं, तो आपको इस मुद्रा को करने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर परामर्श लेना चाहिए।
8. इस मुद्रा को लंबे समय तक करने से आपके मूत्र मार्ग, गुप्तांगों, तंत्रिका तंत्र, आंतों, पेट और नाभि के संबंधित अंग सक्रिय होते हैं। यदि आपको किसी तरह की असुविधा महसूस होती है, तो आपको इस मुद्रा को बंद करना चाहिए। इसके अलावा, यदि आपके शरीर में कोई संकट होता है या आपको कोई बीमारी होती है, तो आपको इस मुद्रा को करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
9. आपको अपने शरीर को ध्यान से सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके शरीर की सीमाओं और अनुभवों के साथ कैसे काम करती है। अश्विनी मुद्रा का अभ्यास आप अपने स्वास्थ्य के लिए कर सकते हैं, लेकिन इसे करने से पहले आपको एक विशेषज्ञ योग प्रशिक्षक से परामर्श लेना चाहिए। क्योंकि इस मुद्रा का अभ्यास करने से पहले सावधानियों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपके शरीर के किसी अंग में कोई समस्या होने पर या इसके अलावा आपको गंभीर बीमारी होने के चांस होने पर भी आपको इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
10. अश्विनी मुद्रा के अभ्यास से पहले आपको समय से पहले खाने की आदत होनी चाहिए और खाने के बाद कम से कम आधा घंटा तक विश्राम करना चाहिए। इस मुद्रा को करते समय ध्यान रखें कि आप इसे धीमे धीमे कर रहे हैं और अभ्यास के दौरान आपके सांस लंबे और गहरे होने चाहिए। साथ ही, इस मुद्रा को करते समय आपको बैठने वाले स्थान का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस मुद्रा को करने के लिए आपको सीधे और चौड़े स्थान पर बैठना होता है।